कर्मयोगी कृष्ण



        
         कर्मयोगी कृष्ण पुस्तक का लेखन एक वैचारिक क्रांति और भगवान श्रीकृष्ण के जीवन पर अन्तरिक्ष में फैली भ्रांतियों को दूर करने का एक छोटा सा प्रयास है। इस पुस्तक में भगवान श्रीकृष्ण से पहले की 60 पीढियों से लेकर उनके बाद की दो पीढियों का विवरण दिया है। 
          इसमें श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की वास्तविक घटनाओं, उनके द्वारा ग्रहण की गई शिक्षाएं, वैज्ञानिक उपलब्धियां, मूल द्वारका तथा श्रीकृष्ण की दिनचर्या विशेष रूप से दी गई हैं। 
        इतना ही नही एक तत्त्वद्रष्टा के तौर पर श्रीकृष्ण द्वारा युद्ध के मैदान दिया गया गीता का मूल उपदेश भी पुस्तक में दिया है। इस पुस्तक का दृष्टिकोण अभी तक श्रीकृष्ण के जीवन पर लिखी गई पुस्तकों से बिल्कुल अलग है। यह एक अनुसंधानात्मक पुस्तक है, जिसे लिखने में लगभग 40 महीने का समय लगा है। 




 


    ‘श्याम आएंगे’

     


        मेरी खोपड़ी के द्वार आज खुल जाएंगे,

        श्याम आएंगे, 

        श्याम आएंगे, आएंगे, श्याम आएंगे। 

        मेरी खोपड़ी के द्वार आज खुल जाएंगे,

        श्याम आएंगे। 

श्याम आएंगे, आएंगे, श्याम आएंगे। 

श्याम आएंगे तो सुबह उठ जाऊंगी,

तारों की छावों में घूम आऊंगी,

फिर मैं करूं योगाञ्जयास,

लेकर सबको मैं साथ,

श्याम आएंगे।

श्याम आएंगे, आएंगे, श्याम आएंगे। 

श्याम आएंगे तो हवन रचाऊंगी,

खाने को हलवा बनाऊंगी,

उनसे लेकर आर्शीवाद,

फिर बांटू मैं प्रसाद,

श्याम आएंगे।

श्याम आएंगे, आएंगे, श्याम आएंगे। 

श्याम आएंगे तो छत पर जाऊंगी,

सूरज को नमन कर आऊंगी,

करके धारण मैं प्रकाश,

होने स्वस्थ की ले आस,

श्याम आएंगे।

श्याम आएंगे, आएंगे, श्याम आएंगे। 

        श्याम आएंगे तो समझ मैं पाऊंगी,

कैसे जीवन की धार बनाऊंगी,

उनका कैसा था सदाचार, 

        पाएं हम भी कर सुधार, 

        श्याम आएंगे, 

श्याम आएंगे, आएंगे, श्याम आएंगे। 

श्याम आएंगे तो मुरली सुनाएंगे,

ऋचाओं का गायन कराएंगे,

उससे मिट जाए भ्रमजाल,

कृष्ण हो जाए निहाल,

श्याम आएंगे।

श्याम आएंगे, आएंगे, श्याम आएंगे।   

कृष्ण कुमार ‘आर्य’ 

 

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