क्या प्याज में है पवार या पवार का है प्याज।
आओ इसका पता लगाए, क्यूं मंहगा हुआ प्याज॥
-प्याज की सरकार-
एक दिन गरीब की झोंपडी में,
प्याज ने लगाया ठुमका।
थाली से उठकर वह,
जा कोने में दुबका॥
अगले दिन साहुकार जी वहां,
आ करके यूं बोला।
चलो तुम साथ मेरे,
मैं लाया हूं झोला॥
झोले में आकर प्याज को,
हुई खुशी बहुत सारी।
आज नही तो कल,
मेरे लिए होगी मारा-मारी॥
एक दिन झोले पर,
नजर पड़ी बड़ी भारी।
झांक कर देखा प्याज ने तो,
सामने थे कालाबाजारी॥
कालाबाजारियों के झोले में गिरकर,
प्याज ने आंसू बहाए।
बोला, नही सहन होता अब मुझसे,
मै दूंगा सबको रूलाए॥
रोता हुआ बोला प्याज,
क्या तुम्हे समझ न आए पवार।
क्यूं भूल गए हो तुम कि,
मैंने पहले भी गिराई थी सरकार॥