मैं कौन हूं !
आया हूं कहा से मै,
जाना कहा है मुझे,
पर ये बताये कौन कि,
मै कौन हूं ?
मै कौन हूं !
घर से मै आता हूं,
आफिस नही जाता हूं,
पर कमा कर मै लाता हूं,
फिर भी यह कहता हूं कि,
मै कौन हूं?
मै कौन हूं !
पत्नी मुझे पति कहती,
पुत्र पिता बोलता,
माता-पिता पुत्र कहते,
दोस्त कृष्ण पुकारते,
फिर भी मै ये समझ न पाया कि,
मै कौन हूं?
मैं कौन हूं !
नदियों में जैसे पानी बहता,
फूलों में हो गंध जैसे,
कलियां महके खुशबू से,
चन्द्रमा की शीतलता से
तन मन जब खिल जाता,
फिर भी मै ये समझ ना पाया कि,
मैं कौन हूं?
मै कौन हूं !
दूध में जैसे मक्खन होता,
पानी में बर्फ रहती,
तार में करंट बहता,
वैसे ही मैं तेरे अन्दर रहता,
फिर क्यूं ना तू ये जान है पाता कि,
मैं कौन हूं?
मै कौन हूं !
तुझ से पहले तेरा प्रारब्ध आता,
क्रियमाण कर संचित बनाता,
जहां से आया तू वहीं पर जाता,
फिर भी क्यूं यह कहता जाता कि,
मै कौन हूं?
मै कौन हू !
तेरे तन में ही मैं रहता,
जिसको तू आत्मा कहता,
फिर भी क्यूं ना तू समझा भ्राता कि,
मैं कौन हूं?
मै कौन हू !
हिरण में जैसे इत्र रहता,
ऐसा सब कुछ जान मै ये कहता कि,
मै मौन हूं ?

1 टिप्पणी:
aattm gyan (sawal bhi tu our jawab bhi) ya fir paagalpann (Drishta) kamaal ki Abhivykti kannha ji bahut gahre mat jaio, plz maza aa gaya,krishan ji
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