बुधवार, 17 सितंबर 2025

मित्रता की डोर

 मित्रता की डोर

 

दिल से दिल को बांधे रखती,

और परेशानी को करती आसान,

जो एक दूसरे पर जमाए जोर,

वह है केवल मित्रता की डोर।

बिना खून के संबंध बने,

भावना संग दूसरे से जुड़े,

जाति बंधन दे जो तोड़,

वह केवल मित्रता की डोर।

रहे साथ खड़ा मुश्किल में,

न फूला समाए खुशी में,

जो भावों का है मजबूत जोड़,

वह है केवल मित्रता की डोर।

वह वसंत ऋतु की खुशबु,

बहे रंग हरा, सरसों की सुगंध,

जब वह पहुँचाए उनकी डगर,

है जो केवल मित्रता की डोर।

एक जमाना श्रीराम का भाई,

निषाद संग मित्रता निभाई,

नहीं बड़ा छोटा था किसी ओर,

ऐसी होती है मित्रता की डोर।

श्याम के महल सुदामा आए,

खुशी के आंसु से वह नहलाए,

ऐसी दोस्ती न देखी कोई और,

दे सम्मान बढ़ाए मित्रता की डोर।

आज जमाना बस ‘केके’ ऐसा,

अपनी खुशी में जग खुश जैसा, 

स्वार्थ सिद्धि पर भागे कहीं ओर,

फिर कौन उड़ाए मित्रता की डोर।


                                                                                       डॉ. के कृष्ण आर्य ‘केके’


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