केसरी
आर्यों
की शान है,
गगन में पहचान है,
देश पर बलिदान है,
यही तो वह केसरिया
निशान है।
जो अस्त नही हो वह त्रिकाल है,
पर अस्त होना संध्या
काल है,
उदय होना प्रातः
काल है,
तभी तो वह केसरी
निशान है।
हवा की जो चाल है,
मेघ भेद जल जाल है,
अग्नि की ज्वाल है,
वह भी केसरी निशान है।
देख इसका जोशिला
रंग,
ज्वाला से डोले
हर अंग,
जो भंग करता
शत्रु का मान,
वही तो है केसरिया
निशान।
यह क्षत्रियों का सुहाग है,
वीरों की तप्त आग है,
दावानल सी उड़ान है,
यही तो केसरियां निशान है।
वेदमंत्र है धडकन इसकी,
शक्तितंत्र है ताकत जिसकी,
उपनिषदों की यह तान है,
यही वह केसरिया निशान है।
रंगों की है जान
यह,
प्यार की है पहचान यह,
रंग यही हमारी शान है,
तभी तो यह केसरी निशान है।
सुरज की लालिमा है यह,
फूलों
सी कलियां है यह,
कृष्ण
यही तेरी पहचान है,
आर्यों
का केसरी निशान है।
०००
कृष्ण कुमार ‘आर्य’