कष्ट
कष्ट नही जिनके जीवन में,
वे भी कितने अभागे हैं।
ऐसे दुःखों से क्या डरना,
जो राह दिखाने वाले हैं।।
द्वंद्व भाव में फंसे जो,
मार्ग देख न पाएगा,
जन्मांतर के चक्कर में,
वह फंसता ही जाएगा
जीवन का कुछ अर्थ नही,
जब तक तम न आएगा,
मिटकर जब मिटाओ अंधेरा,
तो नया सवेरा आएगा।।
क्षणभर का विश्राम नही जब,
जीवन पथ के राही को।
तभी तो वह मानुष कहलाए,
जब आफत का विग्राही को।।
न जाने कष्ट क्यूं अब,
तुमसे लगाव हो गया।
जिस दिन न भागूं पीछे तेरे,
लगता वो दिन बेकार हो गया।।
हे कष्ट! तेरे बिन अब,
जीना अच्छा नही लगता।
तुम अच्छे तो नही हो पर,
बिन तेरे परिचय नही मिलता।।
फिर क्यूं तुमसे भागें दोस्त,
तु ही तो दर्शक है मेरा।
जो कराता है दर्शन केके को,
अपना कौन और बेगाना है तेरा।।
डॉ0 के कृष्ण आर्य ‘केके’