‘तूं हमारा चौकीदार है!
जिन्दगी की राह में, फूल सी डगर है।
भावना के आहार में, प्यार सा विहार
है।
तूं ऐसा एक यार है, जो हमारा
चौकीदार है॥
जन-जन का
जो, धन से उभार है।
रात्री पहर
में ही, भ्रष्टों पर प्रहार है।
ऐसा तू
कलाकार है, जो हमारा चौकीदार है॥
भूत पर भूत सा, करारा एक वार है।
दवाओं की दुआओं से, आयुष्मान परिवार है।
तेरा अंदाज शानदार है, तूं हमारा चौकीदार है॥
शांति से विश्व में, बढ़ाया बड़ा प्यार है।
दुष्ट दलन में जिनका, श्रीराम सा
प्रहार है।
धूल में मिला दे जो, वो हमारा चौकीदार है॥
जल, थल, नभ संग, दुश्मन पर निहार है।
अंतरिक्ष में भी यदि कोई, कर रहा गुप्तचार है।
पहचान तक मिटा दे जो, वो हमारा चौकीदार है॥
वो हमारा चौकीदार है, तु हमारा चौकीदार
है।
कृष्ण
कुमार ‘आर्य’