मेरा देश
आओ भारत भूमि की, तुम्हें कथा सुनाता हूँ।
वो मेरा देश है, जो मैं तुम्हें बताता हूँ ।।
जम्मू कश्मीर से कन्या कुमारी,
है कौन वह नही जिसने जाना,
विविधताओं की क्यारी में,
है मानुष बन सब जग माना,
उसी भेद को आज, मैं तुम्हें बतलाता हूँ ।
पठार की धरती और तुमने,
चाय बागान को नहीं देखा,
कुदरत की मनमोहकता और,
झरनों के कलरव को नहीं देखा,
उसी मोहकता का गान, आज मैं तुम्हें सुनाता हूँ,
छत्तीस प्रदेशों का देश यह,
जिन पर केंद्र करता है राज,
सरकार यह करें सुनिश्चित,
कैसा हो हमारा समाज,
उसी समाज की परिकल्पना, आज मैं तुम्हें बताता हूँ।
तय समय पर तय हो वर्षा,
फसल लहलाए खलियानों में,
अन्न, धन से होवे पूर्ण,
रस रहे भरा जुबानों में,
उसी रस की महत्ता, आज मैं तुम्हें सुनाता हूँ।
जहाँ रही मानव की महानता,
आपस में रही बेहद समानता,
जिस कारण हम रहे विश्वगुरु,
उन को क्यूँ जाते हैं भूल,
उन्हीं गुणों की महानता, आज मैं तुम्हें सुनाता हूँ।
शौच, सन्तोष, तय, स्वाध्याय,
जहाँ अपनाते नित प्रणिधान,
सत्य, अहिंसा, अस्ते, ब्रह्मचर्य,
जहाँ अपरिग्रह का नित हो पालन,
जीवन उच्च आदर्शों को, आज ‘केके’ तुम्हें सुनाता हूँ।
आओ भारत भूमि की, तुम्हें कथा सुनाता हूँ।
वो तेरा भी देश है, जो मैं तुम्हें बताता हूँ ।।
डॉ. के कृष्ण आर्य ‘केके’
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