पतित व उथित
सभी महापुरुषों ने जीवन में कर्म की महता बताई है! शुभ कर्म मनुष्य को उन्नति के मार्ग पर ले जाता है, जबकि बुरे कर्म व्यक्ति को अवनति के राह पर धकेल देते है. परन्तु ऐसे भी कुछ लोग होते है जो कार्य करने की क्षमता रखते हुए भी. कार्य नहीं करते अर्थात जो व्यक्ति कार्य कर सकता है पर करता नहीं! ऐसे कामचोर लोगो को पतित कहते है. पतित लोगो का जीवन में कभी भला नहीं हो सकता. वे हमेशा दुखो के सागर में गिरते रहते है, उन्हें कोई नहीं बचा सकता.
वे व्यक्ति जो शारीरिक तौर पर कुछ करने में असमर्थ होते हुए भी समाज व राष्ट्र के लिए कुछ करने की लालसा रखते है और उनके लिए अपना योगदान देते है उन्हे उथित कहते है, ऐसे कर्मशील लोग समाज व राष्ट्र के लिए प्रगति का मार्ग प्रशस्त करते है और वे हमेशा खुशियो से आनंद प्राप्त करते रहते है.
स्वामी विद्यानन्द 'विदेह'