'कुल्हिया में हाथी'... एक विचार-जरा सोचिये, सृष्टि संवत --1972949125, कलियुगाब्द---5125, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा- विक्रमी संवत-2081
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इंसान एक खिलौना है ! ----------- इंसान एक खिलौना है, जिसे हंसना और रोना है। जिस राह पे वो जाए, उस राह सा होना है।। जीवन की ...
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देश में मनाए जाने वाले त्यौहार भारतवर्ष की प्राचीन सभ्यता के परिचायक हैं। हमारे ऋषि-मुनियों ने ऋतुओं के परिवर्तन,...
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ख़ुशी से मुझे खुश होने से डर लगता है, जो न पाया उसे खोने से डर लगता है मेरे अश्क बनके तेज़ाब न जला दे मुझको, इसलिए रोने से डर ...
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मीटिंग न्यू ईयर एक मीटिंग में आज हुआ यूं ऐसे, सोचते रहे कि ये हुआ कैसे। हम ताकते रहे एक दूसरे की ओर, वो चले गए यूं घूरते सब ओर।। उसने पू...
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बसंत पंचमी को ही मृत्यु लोक त्याग गए थे पितामह भीष्म बंसत ऋतु को ऋतुराज कहा जाता है। यह शिशिर ऋतु की समाप्ति और ग्रीष्म ऋतु के आगमन का परि...
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