नव सम्वत
आज सृष्टि का जन्म दिन है,
आज ब्रह्मा ने संसार रचा था,
ऋतुओं का निर्माण किया था,
पहली बार चमका था सूरज,
आज ही है सृष्टि का जन्म दिन।
पहले दिन की थी जो रचना,
जीव, प्रकृति का पुरा सपना,
पक्षी चहके और आत्मा महके,
हर तरफ फैला मधुर उपदेश,
सृष्टि का वह पहला दिन था।
राम प्रभु ने इस दिन का,
किया था बडा सदुपयोग,
लंका जीती अयोध्या आये,
और राजतिलक लिया करवाये,
तब भी सृष्टि का था जन्म दिन।
सम्वत का नाम,
उस राजा के नाम पर होता,
जिसके राज में न कोई चोर,
अपराधी, न भूखा था सोता,
सम्वत फिर ऐसे महान पर होता।
बंसत ऋतु का आगमन होता,
बहे उमंग और खुशी का श्रोता,
हर तरफ पुष्पों की खुशबू,
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिन वो होता,
सृष्टि का ये भी जन्म दिन होता।
फसल पकने का यह दिन,
किसान की मेहनत का दिन,
शुभ नक्षत्रों का यह दिन,
नेक कार्यों का शुभ है यह दिन,
सृष्टि का है यह जन्म दिन।
गुरू अंगददेव का है जन्म दिन,
नवरात्र का हुआ शुभारम्भ,
आर्य समाज की हुई स्थापना,
रामजन्म से नौ दिन पहले का दिन,
यही था सृष्टि का वह सृजन दिन।
युधिष्ठिर का अभिषेक हुआ,
हेडगेवार ने जन्म लिया,
विक्रमादित्य का राज स्थापित,
जिससे हुआ शुरू विक्रमी संवत,
वह भी था सृष्टि का जन्म दिन।
(सृष्टि सम्वत, एक अरब 97 करोड़, 29 लाख 49 हजार 113 वर्ष)
(सृष्टि सम्वत, एक अरब 97 करोड़, 29 लाख 49 हजार 113 वर्ष)
कृष्ण कुमार ‘आर्य’