Thursday, August 30, 2012

पैसे पेड़ पर ही लगते हैं?


                     
                     पैसे पेड़ पर ही लगते हैं?

एक दिन बेटा मेरा, लगा करने जिद्द ऐसे,
मिठाई लाओ पापा और, ले आना एक चुप्पा,
कितने लाये ये बतलाना, सभी को दे खिलाएं,
पत्नी बोली सुनो बेटा, ऐसे जिद्द नही करते,
पापा तो ले आयेंगे, पर पैसे पेड़ पर नही लगते।
        इतना सुनकर बेटा मेरा, लगा यूं घुर्राने,
        गुस्से में उठकर बोला, क्यूं करते हो बहाने,
        लाने को चुप्पा तुम,  क्यू दे रहे हो ताने,
        कितने पेड़ों को देखा मैंने, लटके उन पर पैसे,   
        फिर क्यू कहते हो मम्मी! पेड़ पर नही लगते पैसे।
मेरे दोस्त की मम्मी ने, घर में बगिया लगाई,
कही आम,अमरूद कही, फूलों की चादर बिछाई,
माली आते रोज वहां,      तोड़ इन्हें ले जाते,
बदले में वो इसके,      फिर पैसे उन्हें थमाते,
फिर क्यू कहते हो मम्मी! पैसे पेड़ पर नही उगते।
        एक दिन पापा मैंने, टीवी पर देखी पहाड़ी,
        पेड़ वहां बहुत थे, और कुछ थी वहां झाड़ी,
        झाड़ी पर पील, पंजोए, पेड़ों पर फल लटके,
        किसान बेच कर फिर इन्हें, पैसे व्यापारी से लाते,
        फिर भी मम्मी कहती हो, पैसे पेड़ पर नही उगते।
एक दिन देखा मैंने, पहाड़ी पर भूकम्प आया,
पेड़ गिरे और मकान, सब धरती में समाया,
कोयला बनता पेड़ों से, ऐसा मास्टर ने पढाया,
कोयला बेच फिर नेताजी, अथाह धन कमाते,
फिर क्यू कहते हो आप, पैसे पेड़ पर नही उगते,
        एक दिन ताऊ मुझे, खेत में लेकर गए,
        खेत में गन्ना लगाया, ऐसा वे बतलायें,
        गन्ने से चीनी बना, फिर व्यापारी ले जायें,
        महंगें दामों में बेच इसे, वे मोटा लाभ कमाते,
        मम्मी! फिर भी कहती हो, पैसे पेड़ पर नही उगते।
ये सब सुनकर मम्मी, क्या समझ आपको आया,
सब कुछ पैसों से बनता, पैसा पेड़ों से पाया,
पेड़ तो है जीवन आधार, कैसे आधार बने निराधार,
सम्मान करों इन पेड़ों का, ऐसा कृष्ण सब कहते,
अब तो मान जाओ मम्मी! पैसे पेड़ पर ही लगते।


कृष्ण कुमार ‘आर्य

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