Friday, March 23, 2012

नव सम्वत

                              नव सम्वत


आज सृष्टि का जन्म दिन है,
आज ब्रह्मा ने संसार रचा था,
ऋतुओं का निर्माण किया था,
पहली बार चमका था सूरज,
आज ही है सृष्टि का जन्म दिन।
        पहले दिन की थी जो रचना,
        जीव, प्रकृति का पुरा सपना,
        पक्षी चहके और आत्मा महके,
        हर तरफ फैला मधुर उपदेश,
        सृष्टि का वह पहला दिन था।
राम प्रभु ने इस दिन का,
किया था बडा सदुपयोग,
लंका जीती अयोध्या आये,
और राजतिलक लिया करवाये,
तब भी सृष्टि का था जन्म दिन।
सम्वत का नाम,
उस राजा के नाम पर होता,
जिसके राज में न कोई चोर,
अपराधी, न भूखा था सोता,
सम्वत फिर ऐसे महान पर होता।
बंसत ऋतु का आगमन होता,
बहे उमंग और खुशी का श्रोता,
हर तरफ पुष्पों की खुशबू,
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिन वो होता,
सृष्टि का ये भी जन्म दिन होता।
फसल पकने का यह दिन,     
किसान की मेहनत का दिन,
शुभ नक्षत्रों का यह दिन,
नेक कार्यों का शुभ है यह दिन,
सृष्टि का है यह जन्म दिन।
गुरू अंगददेव का है जन्म दिन,
नवरात्र का हुआ शुभारम्भ,
आर्य समाज की हुई स्थापना,
रामजन्म से नौ दिन पहले का दिन,
यही था सृष्टि का वह सृजन दिन।
        युधिष्ठिर का अभिषेक हुआ,
        हेडगेवार ने जन्म लिया,
        विक्रमादित्य का राज स्थापित,
जिससे हुआ शुरू विक्रमी संवत,
वह भी था सृष्टि का जन्म दिन।


(सृष्टि सम्वत, एक अरब 97 करोड़, 29 लाख 49 हजार 113 वर्ष) 





                         कृष्ण कुमार ‘आर्य’


Monday, March 19, 2012

भाग मत


                भाग मत

मुसकिलों से हो घिरे, असफलताओं में हो पड़े,
मार्ग हो अवरूध चाहे, ना काम हो आसान,
दुविधा में हो मन यदि, परेशानियां हो हर वक्त,
भाग मत! भाग मत कर प्रयास, कर प्रयास भाग मत।
मंजिल यदि दूर हो, शरीर चकनाचूर हो,
राह में हो रूकावटें, पग-पग संकट भरे,
ना अडचनों से रूको तुम, अडचनें तू दूर कर,
भाग मत! भाग मत कर प्रयास, कर प्रयास भाग मत।
जीत में हार है, हार ही तो जीत है,
विचार में धार हो, धार ही तो विचार है,
आशा में निराशा है, निराशा को तू दूर कर,
भाग मत! भाग मत कर प्रयास, कर प्रयास भाग मत।
        संकल्प में विकल्प हो, विकल्प में हो संकल्प,
        गमन में जो नमन हो, नमन को तू कर गमन,
        संदेश यदि आदेश हो, आदेश में तू संदेश कर,
भाग मत! भाग मत कर प्रयास, कर प्रयास भाग मत।
सत्य में भगवान है, भगवान ही तो सत्य है,
संसार में संस्कार है, संस्कारों से ही संसार है,
सुख में ही पीड़ा है, पीड़ा को तू सुख कर,
भाग मत! भाग मत कर प्रयास, कर प्रयास भाग मत।
        धर्म में यदि अधर्म हो, अधर्म को कर धर्म,
        अर्थ का अनर्थ हो, अनर्थ को कर अर्थ,
        काम की हो कामना, कामना तू मोक्ष कर,
        भाग मत! भाग मत कर प्रयास, कर प्रयास भाग मत।
आयु यदि अचीर हो, अचीरता को चीर कर,
यश यदि अपयश हो, अपयश को तू दूर कर,
कर्म यदि निष्फल होकृष्ण कर्म तू ‌नित कर,
भाग मत! भाग मत कर प्रयास, कर प्रयास भाग मत।


                               कृष्ण कुमार ‘आर्य’



सूर्य की गति का द्योतक है उगादी

          देश में मनाए जाने वाले त्यौहार भारतवर्ष की प्राचीन सभ्यता के परिचायक हैं। हमारे ऋषि-मुनियों ने ऋतुओं के परिवर्तन,...