Monday, March 19, 2012

भाग मत


                भाग मत

मुसकिलों से हो घिरे, असफलताओं में हो पड़े,
मार्ग हो अवरूध चाहे, ना काम हो आसान,
दुविधा में हो मन यदि, परेशानियां हो हर वक्त,
भाग मत! भाग मत कर प्रयास, कर प्रयास भाग मत।
मंजिल यदि दूर हो, शरीर चकनाचूर हो,
राह में हो रूकावटें, पग-पग संकट भरे,
ना अडचनों से रूको तुम, अडचनें तू दूर कर,
भाग मत! भाग मत कर प्रयास, कर प्रयास भाग मत।
जीत में हार है, हार ही तो जीत है,
विचार में धार हो, धार ही तो विचार है,
आशा में निराशा है, निराशा को तू दूर कर,
भाग मत! भाग मत कर प्रयास, कर प्रयास भाग मत।
        संकल्प में विकल्प हो, विकल्प में हो संकल्प,
        गमन में जो नमन हो, नमन को तू कर गमन,
        संदेश यदि आदेश हो, आदेश में तू संदेश कर,
भाग मत! भाग मत कर प्रयास, कर प्रयास भाग मत।
सत्य में भगवान है, भगवान ही तो सत्य है,
संसार में संस्कार है, संस्कारों से ही संसार है,
सुख में ही पीड़ा है, पीड़ा को तू सुख कर,
भाग मत! भाग मत कर प्रयास, कर प्रयास भाग मत।
        धर्म में यदि अधर्म हो, अधर्म को कर धर्म,
        अर्थ का अनर्थ हो, अनर्थ को कर अर्थ,
        काम की हो कामना, कामना तू मोक्ष कर,
        भाग मत! भाग मत कर प्रयास, कर प्रयास भाग मत।
आयु यदि अचीर हो, अचीरता को चीर कर,
यश यदि अपयश हो, अपयश को तू दूर कर,
कर्म यदि निष्फल होकृष्ण कर्म तू ‌नित कर,
भाग मत! भाग मत कर प्रयास, कर प्रयास भाग मत।


                               कृष्ण कुमार ‘आर्य’



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