Thursday, December 17, 2020

‘चौकीदार !



                    ‘तूं हमारा चौकीदार है!

 

जिन्दगी की राह में, फूल सी डगर है।

भावना के आहार में, प्यार सा विहार है।

तूं ऐसा एक यार है, जो हमारा चौकीदार है॥

          जन-जन का जो, धन से उभार है।

          रात्री पहर में ही, भ्रष्टों पर प्रहार है। 

          ऐसा तू कलाकार है, जो हमारा चौकीदार है॥

भूत पर भूत सा, करारा एक वार है।

दवाओं की दुआओं से, आयुष्मान परिवार है।

तेरा अंदाज शानदार है, तूं हमारा चौकीदार है॥

शांति से विश्व में, बढ़ाया बड़ा प्यार है।

दुष्ट दलन में जिनका,   श्रीराम सा प्रहार है।

धूल में मिला दे जो, वो हमारा चौकीदार है॥

जल, थल, नभ संग, दुश्मन पर निहार है।

अंतरिक्ष में भी यदि कोई, कर रहा गुप्तचार है।

पहचान तक मिटा दे जो, वो हमारा चौकीदार है॥

          वो हमारा चौकीदार है, तु हमारा चौकीदार है।

 

                                                कृष्ण कुमार ‘आर्य’

Monday, June 8, 2020

फूल


फूल




मैने आज एक फूल को
फूल तोड़ते हुए देखा,
एक हाथ में फूल, दूसरे में टोकरी लिए
          समीर में फूल झूलते हुए देखा॥
पीछे वनीहारी थी, आगे फुलवारी थी,
          मदमस्त पवन सहज सा,
मंद गंद हवाओं में, अश्व को घूरते हुए देखा॥
          गले में हार सा पीला गुलूबंद लिए,
नागिन से केस उस पर गिरे,
          हार से चाह को हारते हुए देखा॥
पीछे जंगल, आगे मंगल फूल सा,
          पर फूलों में ऐसा फूल नही,
जो पहले कभी, फूल को निहारते हुए देखा॥
          फूल लपकने को जब नजर घुमाई मैंने,
हाथ में केवल डंठल, ताकते हुए देखा,
          आज फूल को मैंने फूल ताकते हुए देखा।


 कृष्ण कुमार ‘आर्य’


सूर्य की गति का द्योतक है उगादी

          देश में मनाए जाने वाले त्यौहार भारतवर्ष की प्राचीन सभ्यता के परिचायक हैं। हमारे ऋषि-मुनियों ने ऋतुओं के परिवर्तन,...