Tuesday, April 13, 2010

तीन माताएं

                                        तीन माताएं

      वेदादि सत्य शास्त्रों में माता का विशेष स्थान बताया है. माता को निर्माता माना गया है. एक बच्चा माता के बिना अनाथ होता है, वह दर-दर की ठोकरे खाता फिरता है. इसी बात को जानते हुये एक आत्मा, भगवान से प्रार्थना करता हुआ कहा रहा है कि हे प्रभु ! आप मुझे मृत्यु लोक में क्यों भेज रहे हो,वहा मुझ छोटे से बालक की रक्षा कौन करेगा, कौन मेरा पालन पोषण करेगा, कौन मुझे खिलाये-पिलाएगा तथा कौन सुलाएगा आदि आदि.
     भगवान ने उस आत्मा का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि मै तुम से पहले तेरी माता को भेज रहा हूँ , जोकि तेरी देखभाल करेगी , तुझे खिलाएगी , पिलाएगी , सुलायेगी और तुम्हारे लिए सब  काम करेगी . मै तेरे पालन-पोषण के लिए तुम से पहले एक नहीं तीन-तीन माताओ को भेज रहा हूँ .
1 .     जननी माता-- सबसे पहले मै तेरी जननी माता को भेज रहा हूँ , जोकि तेरे शरीर कि रक्षा करेगी , खिलाएगी व तेरी सभी जरुरतो को पूरा करेगी. तेरा मल-मूत्र साफ करेगी, तुझे सूखे में सुलायेगी और खुद गिले में रहेगी ,   इसलिए तुम भी कभी उसका निराधर मत करना . उसकी सेवा करना और हमेशा उसे खुश रखना .
2 .     गऊ माता -- दूसरी गाय भी तेरी माता होगी और वह तेरे सभी कष्टों का हरण करेगी. वह अपने दूध से तेरे शरीर को पुष्ट करेगी, अपने गोबर से तेरी आँगन में खुशबू बिखेरेगी और हानिकारक कीटो का नाश करेगी. तेरे शरीर में होने वाली बीमारियों को अपने मूत्र से दूर करेगी. इसलिए तुम उसकी भी सेवा करना मत भूलना. यही तेरा धर्म है
3 .     धरती माता -- धरती भी तुम्हारा तीसरी  माता कि तरह पालन पोषण करेगी . वह तेरे लिए अपने गर्भ से मिट्ठे फल , फूल , औषधियां पैदा करेगी और तुम्हारे शरीर को मजबूती प्रदान करेगी और  उसमें आने वाले सभी रोगों व कष्टों को नष्ट करेगी. अत: तुम कभी उस पर आंच मत आने देना और जब भी तेरी धरती माता पर संकट के बादल छायें तो उसकी रक्षा के लिए युद्ध के मदान में कूद पड़ना, इसके लिए चाहे तुम्हे अपने प्राणों कि बाजी भी क्यों न लगनी पड़े .
                                             साहित्यिक  विचार


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